पिछले महीने मैंने एक बालकनी गार्डन बनाने की सोची और इसके लिए अपनी एक परिचित श्रीमती विनीता तीर्थानी से संपर्क किया. मेरा यह विचार सुनकर वे बेहद ख़ुश हुईं. मिट्टी, रेत, खाद, पौधों से लेकर जो भी मेरी मदद कर सकती थीं, उन्होंने भरपूर की. आज बारिश के मौसम में भी अपने घर से मिट्टी तैयार करवाकर मुझे देने आईं, और दोबारा फिर कुछ पौधे देनी भी आईं. ऐसे पर्यावरण प्रेमी विरले ही मिलते हैं. वर्ना डिजिटल गार्डन और जंगल बनाने वाले तो हज़ारों मिल जाएँगे.